ये एक पोस्ट में कर रहा हूं एक सज्जन जो कानपुर से है और डाइबिटीज है और उन्होंने यह पोस्ट लिखा है आपके लिए गौर से पढ़ेंगे ।
यह पोस्ट मेरे उन मित्रों के लिये है जो diabetes से पीड़ित हैं या उसके कगार पर हैं ••diabetes अक्सर आनुवांशिक होती है या बुरे खान पान और व्यायाम हीन जीवन शैली के कारण भी हो जाती है ••अगर आपका weight ज्यादा है (BMI >25) और फास्ट फूड, मिठाई आदि के शौकीन हैं तो समय से सावधान हो जाएं ••diabetes आपको कभी भी दबोच सकती है ••40 की उम्र के बाद lab से शुगर test हर 6 माह में कराते रहें••अगर fasting लेवल लगातार 120 से ऊपर और भोजन के दो घंटे बाद का लेवल 170-180 के ऊपर रह रहा हो तो तत्काल योग्य चिकित्सक से संपर्क करें ••नीम हकीम इलाज से बिल्कुल दूर रहें••
उपरोक्त के अलावा diabetes कभी-कभी अस्थाई रूप से work stress से भी हो जाती है जो काम हल्का होने पर समाप्त भी हो सकती है इसलिये अगर दवा खाने लगे हैं तो खाते ही मत रहिये ••शुगर लेवल चेक करा कर डाक्टर के संपर्क में लगातार बने रहें ••मेरा अपना अनुभव है ••वर्ष 2009-11 के दौरान मेरी कानपुर देहात में कलेक्टर पद पर तैनाती के दौरान कार्य के स्ट्रेस से मुझे अस्थाई diabetes हो गई ••मैंने अपने परम मित्र और परिवार के सदस्य जैसे देव तुल्य चिकित्सक Dr Lakshmi Kant Shankhdhar जी को दिखाया ••उन्होंने कुछ दवाएं लिख दी और कुछ समय बाद दिखाने को कहा ••कार्य भार की अधिकता से मै दोबारा उनको नहीं दिखा पाया और दवाएं खाता रहा ••वर्ष 2014 तक मेरी यह हालत हो गई कि बेहद sweating, बढ़ी हुई पल्स,मानसिक असंतुलन जैसी परेशानियों ने घेर लिया ••तब भी मेरी समझ में यह नहीं आया कि यह सब diabetes खत्म हो जाने के बाद दवाएं खाते रहने के कारण है और डाक्टर शंखधर साहब के पास नहीं गया ••डिप्रेशन के गंभीर लक्षण दिखने पर सौरभ ने मुंबई में अम्बानी अस्पताल के हेड endocrinologist डॉ धीरज कपूर को दिखाया तो उन्होंने सारे टेस्ट करा कर विटामिन b12 लेवल बेहद कम पाया और hypoglycemia की diagnosis की ••diabetes की दवाएं बंद कर के neurobion forte देना शुरू किया जिस से कुछ दिनों में b12 ठीक हो गया और मै नॉर्मल हो गया••
लिहाजा कुछ सबक सीखें••diabetes होने पर दवाएं खाना अगर शुरू भी कर दिया है तो चिकित्सक का साथ न छोडें और झोलाछाप के चक्कर में और स्व चिकित्सा के झमेले में तो बिलकुल न फसें••• अंत में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि आस्था फाऊंडेशन जो कर रही है अपने लिए नहीं आपके लिए । कोई भरोसा शरीर का मत करें कल जिससे आप मिले हैं हो सकता हो आज आप उससे ना मिले । इसलिए जितना हो सके मदद करने की कोशिश करें और यही मदद आपके लिए दवा की जगह दुआ बनेगी ।