वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार दुनियाभर में मौजूद टीबी मरीजों में से लगभग 15% मरीजों में डायबिटीज इसका कारण है। चिकित्सकों का मानना है कि डायबिटीज रोग टीबी के खतरे को दोगुना बढ़ा देता है। किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज होने पर उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी रोगों से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज के शरीर में टीबी के वायरस आसानी से पहुंच सकते हैं और उसे बीमार कर सकते हैं। इसके अलावा कई बार टीबी के वायरस व्यक्ति के अंदर होते हैं मगर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण उभर नहीं पाते हैं। ऐसे में डायबिटीज होने पर ये वायरस शरीर पर हमला शुरू कर देते हैं और मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इन्हें नहीं रोक पाती है।अगर किसी व्यक्ति को टीबी है, तो उसे डायबिटीज होने का भी खतरा बढ़ जाता है। टीबी होने पर शरीर में एक तरह का स्ट्रेस बोता है, जिससे ग्लूकोज टॉलरेन्स बढ़ता है। इस वजह से डायबिटीज हो सकता है। वहीं इन मामलों में डायबिटीज की दवा का असर बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता है। मधुमेह और टीबी दोनों होने पर मरीज का इलाज मुश्किल हो जाता है। दरअसल कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण टीबी की दवाइयों का असर धीरे-धीरे और देरी से होता है। यही कारण है कि डायबिटीज रोगियों को मल्टी ड्रग रेजीस्टेंट-टीबी का खतरा बढ़ जाता है। ये एक ऐसा टीबी रोग है, जिसका इलाज लंबे समय तक करना पड़ता है और ये आसानी से ठीक नहीं होता है। इसका खतरा उन लोगों को और ज्यादा होता है, जो सिगरेट और शराब का सेवन करते हैं। यह लेख मशहूूर छााा तीी
अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो हो जाएं सावधान क्योंकि मधुमेह से पीड़ित लोगों में T B होने का खतरा बहुत रहता है कैसे इस लेख को जरूर पढ़ें।
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