छह घंटे से कम सोना खतरनाक
अगर आप अधिक सोने का बहाना बनाना चाहते हैं तो यह निष्कर्ष आपकी इच्छा को वैज्ञानिक आधार दे सकता है. एक नये अध्ययन में कहा गया है कि वैसे लोग जो रात में छह घंटे से कम अवधि तक सोते हैं, उन्हें स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि अपनी उम्र की मध्य अवस्था में जो लोग स्वस्थ होने के बावजूद नौ घंटे तक सोते हैं उसकी अपेक्षा छह घंटे तक सोने वाले लोगों को स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है. यह शोध लगभग 5,000 लोगों पर किया गया, जिनकी उम्र 45 वर्ष या इससे अधिक थी.
इस निष्कर्ष में पाया गया कि कम सोने वाले लोगों के शरीर में दर्द, दृश्यता संबंधी दोष या चक्कर आने जैसी समस्या अधिक होती है.अल्बामा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक, पर्याप्त निद्रा से वंचित लोगों में मोटापा और उच्च रक्त चाप जैसी बीमारियों के लक्षण पाये जाते हैं. यह पहले ही साबित हो चुका है कि स्लीप अप्निया (सांस संबंधी समस्या, जिसकी वजह से अच्छी नींद नहीं आती है) का संबंध स्ट्रोक से है. गौरतलब है कि पिछले साल इसी तरह का एक शोध किया गया था, जिसमें कहा गया कि कम सोने के कारण लोगों में स्ट्रोक और हृदय संबंधी समस्याएं अधिक बढ़ रही हैं. लेकिन, हालिया शोध में स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो कि आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है.
पहले के अध्ययन में यह बताया गया कि नियमित तौर पर छह घंटे से कम सोने या नौ घंटे से अधिक सोने से स्ट्रोक का खतरा अधिक बड़ जाता है, लेकिन अब शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दिशा में अभी व्यापक शोध की जरूरत है, ताकि यह पूरी तरह प्रमाणित हो सके.